श्लोक - जितना चाहो भक्ति करलो *शूद्र , अछूत ही कहलाओगे
तुम हुडदंग खूब मचाओगे ll
जितना चाहो भक्ति कर लो
शूद्र ही कहलाओगे l
सम्मान नही मिलना तोले भर
मंदिर से निकाले जाओगे ll
मंदिरों से तुम्हे भगाया था l
अछूत बता कर पूर्वजों को
स्कूल के बाहर बैठाया था ll
इतिहास के पन्ने याद करो
मैला तुम से ढुलवाया था l
जोर जुल्म कर देव भक्तों ने
हरिजन तुम्हे बनाया था ll
इतने अपमान के बावजूद भी
भजन कीर्तन गाते हो l
पुजारी के पीछे हो कर खड़े
आरती खूब सुनाते हो ll
दलित पशु बताया "तुलसी" ने
फ़िर भी घंटा खूब बजाते हो ll
न तुम सुधरे न सुधरोगे
अपमान अपना कराओगे l
*जितना चाहो भक्ति करलो *
*शूद्र , अछूत ही कहलाओगे ll*
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