*सच रक्षाबंधन का*
*अपना तर्क लगायें. इतिहास को जाने. नया इतिहास रचें*.
*रक्षाबंधन
भाई बहन का त्योहार नहीं है. क्या हिंदुओं में ही भाई बहन होते हैं.
सिक्ख, मुसलमानों, ईसाईयों, जैन पारसियों या बौद्धों में भाई बहन नहीं
होते. यदि यह त्यौहार भाई बहनों का त्यौहार होता तो सिक्ख, मुसलमान, ईसाई,
जैन पारसी या बौद्ध भाई बहन भी इसे मनाते!*
*वर्ण
व्यवस्था के अनुसार यह ब्राह्मणों का त्योहार है। इतिहास काल से अब तक
ब्राह्मणों द्वारा क्षत्रियों को रक्षा सूत्र बांधा जाता रहा है उन्हे
ब्राह्मणों की रक्षा की शपथ दिलाई जाती रही है।*
*”धर्मशास्त्र
का इतिहास” नामक पुस्तक के चौथेखण्ड के पृष्ठ १२४ में भारत रत्न पी वी
काणे ( पांडुरंग वामनराव काणे ) लिखते है “आज ब्राम्हण शूद्र के घरों मे जाकर
उन्हें तथा कथित रक्षा सूत्र(जो वास्तव मे बंधक सूत्र है) बाँधते हुये
देखे जा सकते हैं और वह रक्षा सूत्र बांधते है तो संस्कृत का श्लोक भी
पढ़ते है।*
मन्त्र:-
*“येन बध्दो ,दानेन्द्रो बलि राजा महाबल:।*
*तेन त्वाम प्रति बधनामिअहम रक्षे माचल ,माचल, माचल।।*
*अर्थात
जिस प्रकार तुम्हारे दानवीर बलि राजा को हमारे पूर्वजो ने बंदी बनाया था
उसी प्रकार हम तुम्हे भी मानसिक रूप से बंदी बना रहे है।*
*हिलो मत, हिलो मत, हिलो मत, अर्थात जैसे हो वैसे ही रहो अपने मे सुधार ना करो।*
*अर्थात
मैं तुझे ये धागा उस उद्देश्य से बंधता हूँ जिस उद्देश्य से तेरे सम्राट
बलि राजा को बांधा गया था, आज से तू मेरा गुलाम है मेरी रक्षा करना तेरा
कर्त्तव्य है, अपने समर्पण से हटना नहीं।*
*महाराज
बलि मूलनिवासियों के सबसे ज्यादा शक्तिशाली राजा हुए थे जिन्होंने पूरे
देश से ब्राह्मणों को खदेड़ दिया था और देश को ब्राह्मणमुक्त कर दिया था। जब
ब्राह्मणों का महाराज बलि पर कोई वस नहीं चला तो ब्राह्मणों ने अपने धर्म
के अनुसार यज्ञ करवाने के नाम से एक चल चली।महाराज बलि को ऋग्वेद के अनुसार
यज्ञ करने के लिए मना लिया गया। यज्ञ के बाद ऋग्वेद के अनुसार दान देना और
ब्राह्मणों को प्रसन्न करना जरुरी है। ब्राह्मण तभी प्रसन्न होता है जब
उसको उसकी इच्छानुसार दान मिले। यज्ञ “वामन” नामक ब्राह्मण ने महाराज बलि
द्वारा धोखे से तीन वचन लेकर पहले वचन में महाराज बलि से पूरी धरती अर्थात
जहाँ जहाँ महाराज बलि का शासन था वो सारी भूमि मांग ली। दूसरे वचन में
समुद्र मांग लिया अर्थात जहाँ जहाँ महाराज बलि का समुद्रों पर कब्ज़ा था और
तीसरे वचन में महाराज बलि से उनका सिर मांग लिया था।*
*ब्राह्मण
धर्म के जाल में फंसे मूलनिवासियों की स्थित आज बिल्कुल महाराज बलि के
जैसी बनी हुई है। ना तो महाराज बलि रक्षासूत्र के नाम पर बंधक सूत्र
बंधवाते और न ही ब्राह्मण उनका सब कुछ जान समेत ठग लेते।ब्राह्मण धर्म के
धोखे में फंसे मूलनिवासी आज अपना सब कुछ ब्राह्मणों को दे रहे है जबकि न तो
यह धर्म मूलनिवासियों का है और न ही मुर्ख बनकर मूक बने लूटते रहना कोई
धर्म है।*
*अगर इतिहास में भी झांक कर देखा जाये तो आज तक किसी भी ब्राह्मणी त्यौहार से मूलनिवासियों का कोई फायदा नहीं हुआ है।*
*मूलनिवासी
बिना सोचे समझ हीे ब्राह्मणों रीतति रिवाजों और धार्मिक परम्पराओं को ढोते
जा रहे है और यही रीति रिवाज और धार्मिक परम्पराए मूलनिवासियों की गुलामी
के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार है।*
*विश्व के अन्य
देशों में रक्षाबंधन जैसे पाखंड और अंधविश्वास पर आधारित त्यौहार नहीं
मनाये जाते। जैसा की ब्राह्मण कहते है कि रक्षा बंधन ना बांधने से हानि
होती है।*
आज तक विश्व के किसी भी देश में कोई हानि नहीं हुई। असल में हानि सिर्फ इंडिया में ही होती है।
*ब्राह्मण
एक भी परम्परा को नहीं तोड़ना चाहता। अगर एक भी परम्परा टूट गई तो
ब्राह्मणों का पाखंड, अन्धविश्वास और लोगों को लूटने का अवसर कम हो जायेगा।
सच बात तो ये है कि रक्षाबंधन का भाई बहन के प्रेम से कोई लेना देना
नहीं। रक्षाबंधन का मामला ही कुछ अलग है” रक्षाबंधन” इस शब्द का अर्थ है
रक्षा का बंधन, अर्थात गुलामी का बंधन।*
*सिक्ख
धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव जी ने अपनी बहन नानकी से राखी बंधवाने से
इंकार किया। क्यों? क्योकि गुरु नानक जी ने साफ़ साफ़ कहा की औरत मर्द पर
सुरक्षा के लिए निर्भर न रहे।*
आज
के काल में बुद्धिस्ट भिक्षुओ ने भी रक्षासूत्र बाँधना शुरू कर दिया है।
यह बौद्ध भिक्षुओं के ब्राह्मणीकरण की नयी साज़िश है। इस आध्यात्मिक गुलामी
का धिक्कार करे।
*महात्मा फुले ने खुद ही कहा था
“आध्यात्मिक गुलामी के कारण मानसिक गुलामी आई,मानसिक गुलामी के कारण सोच
विचार करना बंद कर दिया, सोच विचार बंद होने के कारण आर्थिक गुलामी आई और
सारे मूलनिवासी ब्राह्मणों की गुलामी के शिकार बन गए।*
*आओ हम महात्मा फुले के पद चिन्हो पर चले “अला बला जाए बलि राजा का राज आये”।*
*बंधक
सूत्र बंधने के लिए ब्राह्मण दान भी लेते है। ये प्राप्त दान हमारे पतन के
लिये RSS को देतें है जो हमारे पतन के लिये रणनीति बनाते है। यह भाई बहन
का त्योहार नहीं है यदि ऐसा होता तो मुस्लिम व ईसाई बहने भी अपने भाइयों को
राखी बांधती होती। और तो और कोई बहन अपने भाई को राखी बांधेगी क्या तभी
भाई उसकी रक्षा करेगा अन्यथा उसे लूटते देखेगा, कई मामलों मेम यह भी देखा
गया है कि सगे भाईयों ने दौलत की खातिर अपनी बहन की हत्या तक कर दी. कुछ
मामले ऐसे भी रहें हैं कि भाईयों ने अपने स्वार्थ के लिए बहनों को बेच
डाला. यह कोरा मूलनिवासियों का विरोधी कार्य है।*
*2012
में किये गए अध्ययन के मुताबिक हर साल कम से कम 1200 करोड़ रुपये का दान
भारत में दिया जाता है। जिस में सबसे ज्यादा बड़ा हिस्सा ब्राह्मणों को और
उनके मंदिरों में जाता है। ब्राह्मण इस पैसे से मूलनिवासियों को गुलाम
बनाये रखने के कार्यक्रम करता रहता है। विश्व हिंदू परिषद, आर.एस.एस. ,
बजरंग दल आदि ब्राह्मणों के बनाये हुए बहुत सारे ऐसे संगठन है जो
मूलनिवासियों के दिए दान पर पलते है और मूलनिवासियों के खिलाफ काम करते
है।*
*बाबा साहब के सपनो का समाज और देश बनाने के लिये मूलनिवासियों को अंधविश्वासी त्योहार नहीं मनाना चाहिय।*
*:
रक्षा बंधन का बड़े पैमाने में बहिष्कार होना चाहिए यह फालतू पर्व है
जिसमें रिश्ते के आड़ में बनिया अरबपति बनता है कागज का टुकड़ा बेचकर पैसा
कमाते हैं जिसे दो घंटों में फाड़ कर फेंक दिया जाता है और रिश्ता वहीं का
वहीं रहता है भाई बहन पहले भी थे और इसके बाद भी उसी तरह रिश्ते रहते हैं
बस इस दो घंटे के खेल में अरबों रुपये की कमाई हो जाती है मिठाई में पूरा
मिलावट होता है जो शरीर के लिए हानिकारक होता है बचिये और अपने परिवार व
साथियों को बचाए*
*कोई जानता नहीं बस यूँ ही मनाते आ
रहे हैं रक्षा बंधन ।पूछो तो बस यही कहते हैं "आज भाई बहन की रक्षा की शपथ
लेता है और बस यूं ही परम्परा चली आ रही है तो हम भी मना लेते हैं।"*
*अरे भाई दिवाली में तुम 500-1000के पटाखे चला कर प्रकृति को प्रदूषित करते हो ।*
*होली
में फ़ालतू के रंग पानी पर पैसा बर्बाद करते हो ।और रक्षाबन्धन में तो अपनी
बहन को तो आज के दिन प्रण करते हुए रक्षा सूत्र बांधते हो तो क्या बाकि
दिनों में बहन की रक्षा नहीं करते ।अरे सुनो ।तुम लोग सभी की बहनों की
रक्षा का प्रण लो ।अरे अपनी बहन की रक्षा का प्रण और दूसरी की बहन को गन्दी
नजरों से देखते हो ।तभी तो आये दिन ऐसी रेप की घटनाएं होती हैं ।ब्राह्मण
अपनी रक्षा करवाने हेतु क्षत्रिय .sc.st.obc. सभी को मंदिर में राखी बांधता
है और दक्षिणा भी लेता है ।पंडित से राखी महिला पुरुष सभी मंदिर में जाकर
बंधवाते हैं ऐसा मैंने सुना है .देखा नहीं ।यदि पंडित ऐसा करता है तो फिर
वो अपनी रक्षा हेतु भगवान से गुहार क्यों नहीं लगाता ।इसका मतलब पंडित का
ये कृत्य प्रमाणित करता है कि उसकी रक्षा भगवान नहीं कर सकता ,उसकी रक्षा
मानव ही करेगा ।अब प्रश्न ये उठता है की वो अपनी रक्षा क्यों करवाना चाहता
है ?किसके डर के कारण वो अपनी रक्षा करवाना चाहता है ।तो साफ़ है वो अपनी
रक्षा अपने फैलाये गए पाखण्ड की पोल खुलने पर जनता की मार ना पड़े उससे अपनी
रक्षा का सूत्र बांधता है यदि पंडित की पिटाई हो जावे तो ना तो भगवान्
आवेंगे बचाने और ना ही रक्षा सूत्र बंधवाने वाले आवेंगे बचाने ।अब तो इन
पंडितों को भी गटर की सफाई मरे जीवों को उठाना,सफाई आदि काम में लगाया
जावे तो इन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी।*
जय भीम जय भारत
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